Top Young Self Made Businessman-एक महान आईडिया से बदली अपनी जिन्दगी !

0

Top Young Self Made Businessman-एक महान आईडिया से बदली अपनी जिन्दगी !       


                                        आज के समय हर एक युवा अमीर बनना चाहता है सफल होना चाहता है और अपना लाइफस्टाइल बहतर बनाना चाहता है! तो क्या हर इन्सान ये सब हासिल कर पाता है ? अगर सही बताऊ तो नहीं !लेकिन जो इन्सान सच्ची लगन ,मेहनत और इच्छाशक्ति और एक अच्छे आईडिया के साथ पूरी ईमानदारी से सफल होने के लिये काम करता है वो एक दिन जरूर सफलता के शिखर पर पहुँच जाता है !
                                                यदि आप सफलता पाना चाहते है तो यह समझ ले की सफलता की राह आसान नहीं होती ,इसके लिए आप को बहुत धैर्य एवं सयंम से कठोर मेहनत करनी होती है !एक बात हमेशा याद रखना हार मान कर बैठने का अर्थ ,हमेशा के लिए पराजित होना है !इसलिए  जो भी परिस्थिति हो आप को कभी हार नहीं माननी चाहिए !
                                         ऐसे ही कुछ युथ आइकॉन की सफलता की कहानी हम आप आप के साथ शेयर कर रहे है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में सफलता हासिल की और एक आम इंसान से एक बेहतरीन सफल इंसान बने !
1. दीपेंद्र गोयल-Founder and CEO  of Zamato 
                                       दीपेंद्र गोयल का जन्म पंजाब के मुक्तसर में हुआ उनके माता-पिता शिक्षक थे ! दीपेंद्र गोयल ने 2005 में आईआईटी से मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग में इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री ली। डिग्री पूरी होने के फौरन बाद दीपेंद्र ने कंसल्टिंग फर्म बेन एंड कंपनी में बतौर कंसल्टेंट नौकरी कर ली।नौकरी के दौरान दीपेंद्र ने देखा कि ऑफिस लंच के दौरान काफी लम्बी कतार लगती थी। इसमें उनका काफी वक्त बर्बाद हो जाता था।

                                    दीपेंद्र ने अपने और साथियों की इस मुश्किल को हल करने और उनका समय बचाने के लिए मेन्यू स्कैन करके उन्हें ऑनलाइन उपलब्ध करवाने का फैसलाा लिया।यहीं से दीपेंद्र को एक बिजनेस आइडिया आया और उन्होंने एक ऐसी वेबसाइट और मोबाइल एप बनाने का फैसला किया जहां लोगों को अपने शहर के बेहतरीन रेस्टोरेंट्स से संबंधित सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके।

36 साल के दीपेंद्र गोयल की वाइफ का नाम कंचन जोशी है जो Delhi University में प्रोफेसर है उनकी बेटी का नाम Siara है दीपेंद्र गोयल की नेट वर्थ लगभग 1900 करोड़ है !
नौकरी के साथ अपना बिजनेस
दीपेंद्र के इस आइडिया को उनके सहकर्मी पंकज चड्‌ढ़ा ने खूब सराहा और उनका साथ देने का फैसला किया। 2008 में नौकरी के दौरान ही दीपेंद्र ने पंकज के साथ ऑनलाइन फूड पोर्टल फूडीबे डॉट काॅम की शुरुआत की। इस पोर्टल का उद्देश्य था यूजर्स के लिए लोकेशन, कीमत और लोकप्रियता के आधार पर रेस्टोरेंट्स की खोज को आसान बनाना। 2009 के अंत तक आते-आते फूडीबे के कारोबार में इजाफा हुआ और यूजर्स से अच्छा फीडबैक मिलने लगा। इसी दौरान दीपेंद्र की पत्नी को भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में टीचिंग जॉब मिल गई। पत्नी की तरफ से मिली आर्थिक मदद और कारोबार की रफ्तार ने दीपेंद्र को अपना जॉब छोड़कर पूरा ध्यान बिजनेस पर देने के लिए प्रेरित किया। दीपेंद्र और पंकज ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया और फुल टाइम बिज़नेस विस्तार देने में जुट गए।

                            2010 में फूडीबे डॉट काॅम का नाम बदल कर जोमाटो कर दिया ! आज जोमाटो 24 देशों में 10,000 से भी ज्यादा शहरो में अपनी सर्विस देता है ! जोमाटो का मुख्यालय Gurugram Haryana में है.जोमाटो में 5000 से भी ज्यादा कर्मचारी है जोमाटो के लगभग 80 मिलियन मंथली एक्टिव यूजर है !

                                        जुलाई 2019 में जोमाटो के साथ एक विवाद हुआ था जब जबलपुर मध्य प्रदेश से एक कस्टमर ने नॉन हिंदू डिलीवरी बॉय से ऑर्डर लेने से मना कर दिया था और जोमाटो से कहा था की उसके ऑर्डर की डिलीवरी एक हिंदू डिलीवरी बॉय से कराये ! ऐसा करने से कम्पनी ने मना कर दिया और बाद में ऑर्डर कैंसिल हो गया था !

इस पर जोमाटो ने टवीट किया था जो काफी सुर्खियों में रहा !

"Food does not have a religion.It is religion."




2.दिव्यांक तुरखिया और भाविन तुरखिया

                   दिव्यांक तुरखिया और भाविन तुरखिया का जन्म मुंबई के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ उनका बचपन जुहू और अंधेरी इलाकों में ही बीता। बचपन से ही कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग के शौकीन दिव्यांक ने महज़ 13 साल की उम्र में अपने भाई के साथ मिलकर स्टॉक बाजार की कीमतों पर नज़र रखने के लिए एक स्टॉक मार्केट सिमुलेशन गेम बनाया।

               कंप्यूटर में ज्यादा रुची होने के कारण उनका पढ़ाई से नाता टूटता चला गया।लेकिन पिता के दबाव में आकर उन्होंने बी.कॉम के लिए दाखिला लिया लेकिन कभी कॉलेज नहीं जाते थे।पूरे दिन दोनों भाई मिलकर घर पर ही कोडिंग करते रहते थे। कोडिंग में जबरदस्त पकड़ बनाने के बाद इन भाइयों ने अपना कारोबार शुरू करने की योजना बनाई। लेकिन कारोबार शुरू करने में सबसे बड़ी अरचन शुरूआती पूंजी को लेकर थी।                                                 किसी तरह से 1998 में 25000 रूपये अपने पिता से कर्ज़ के रूप में लिये ! दिव्यांक ने 16 साल की उम्र में अपने 18 साल के भाई भाविन के साथ मिलकर क़र्ज़ लीये पैसे से वेबसाइट के डोमेन नाम देने वाली कंपनी डायरेक्टी की स्थापना की। डायरेक्टी भारतीय कंपनियों को वेबसाइट्स और इंटरनेट सर्विसेज मुहैया कराती थी। बाद में इसी कंपनी के बैनर तले ‘बिगरॉक’ का जन्म हुआ, जो आज एक अग्रणी डोमेन रजिस्ट्रर कंपनी है। उस समय किस ने सोचा था की सोलह साल बाद ये दोनों भाई अरबपति क्लब में शामिल हो जाएंगे!

                             दोनों भाई डायरेक्टी के बैनर तले अब तक कुल 11 स्टार्टअप्स शुरू कर चुके हैं। मौजूदा दौर में डायरेक्टी ग्रुप के 1,000 कर्मचारी और 10 लाख ग्राहक हैं। कंपनी की ग्रोथ सालाना 120 फीसद की दर से हो रही है। कुछ वर्ष पहले तुरखिया और उसके भाई ने एंड्युरेंस इंटरनेशनल ग्रुप को 1 हजार करोड़ रुपए में 4 ब्रांड बेचे थे।                                  

                                                     

                             कुछ वर्ष पहले उन्होंने ऑनलाइन ऐडवर्टाइजिंग वेंचर मीडिया.नेट को एक चाइनीज समूह के हाथों 90 करोड़ डॉलर में बेचा। इस मामले में उन्होंने गूगल ( 75 करोड़ डॉलर में ऐडमोब को खरीदा) और ट्विटर (35 करोड़ डॉलर में मोपब को खरीदा) को भी पीछे छोड़ दिया।दोनों भाइयों के पास इंजीनियरिंग की डिग्री नहीं होने के बावजूद दोनों बेहतरीन कोडर हैं। इन भाइयों ने ख़ुद के दम पर बिना किसी की सहायता के इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। आज तुरखिया भाइयों को फर्स्ट इंडियन इंटरनेट आत्रप्रेन्योर्स के रूप में जाना जाता है।इन भाइयों को भारतीय ऐड टेक जगत की सबसे बड़ी हस्ती के रूप में देखा जाता है।

यह भी देखें 

नाहरगढ़ किले का रहस्य-नौ महलों का किला 

 

Tags:

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Please do not enter any spam link in the comment box.

एक टिप्पणी भेजें (0)