UNBEATEN-इच्छाशक्ति की कहानी बताता एक अद्भुत पूल History of Brooklyn Bridge

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                      कुछ कहानियाँ हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है कि हम अपराजेय बने रहे।क्या आप ऐसी कहानियों से उत्साहित होते हैं ? क्या ऐसी कहानियाँ आप के जीवन में कुछ मायने रखती है ? वही लोग जीवन में कामयाब हो पाते है जो सफल लोगों की जीवनी से सीखते है! क्योंकि जिंदगी इतनी छोटी है की हम बार-बार गलती कर के सही करें या फिर सफल लोगों की जिंदगी से प्रेरणा ले और सफलता प्राप्त करें !

                      आज एक ऐसी ही असामान्य इच्छाशक्ति की कहानी आप के लिए हम ले कर आये है ! ये कहानी आप को सिखाती है की परिस्थिति चाहे कैसे भी क्यों ना हो हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए !ये कहानी है अमेरिकेन इंजीनियर जॉन रैम्ब्लिंग (John Roebling) और उनके बेटे की, जॉन रैम्ब्लिंग को न्यूयार्क और लॉन्ग आईलैंड को जोडने वाला एक पुल बनाने का विचार आया ! जॉन ने इस के बारे में अपने साथी इंजीनियरो से बात की ,तो उन्होने जॉन का मजाक बनाया और उसे ऐसा बेवकूफी भरा कार्य नहीं करने की सलाह दी !

                    लेकिन जॉन यह मानने को तैयार नहीं थे,उनका मानना था की यह पुल निश्चित रूप से बनाया जा सकता है !जब उसकी यह बात किसी ने नहीं मानी तो उन्होंने किसी तरह से अपने बेटे वाशिंगटन को इस पूल के निर्माण के लिए तैयार कर लिया !और फिर जॉन रैम्ब्लिंग और उनके बेटे वाशिंगटन ने दिन-रात एक करके पूल के सैकड़ो नक़्शे तैयार किये और काम में आने वाली हर एक बाधा का समाधान ढूंढते हुए आगे बढ़ गए !पुरे उत्साह और लगन से वे दोनों इस चुनौतीपूर्ण एवं लगभग असम्भव से कार्य में जुट गए !

                       अब पूल निर्माण कार्य सही तरह से चल रहा था की एक दिन निर्माण स्थल पर एक दुखद हादसे में जॉन रैम्ब्लिंग की मृत्यु हो गई और इस हादसे से वाशिंगटन के दिमाग पर ऐसा आघात लगा की वह चलने-फिरने और बात करने लायक नहीं रहा,इससे लोग उसके बारे में तरह-तरह की बात करने लगे और बाकी साथी इंजीनियरो ने कहा की अब पूल निर्माण का काम बंद केर देना चाहिए!वो कहते है जिन्हें दुनिया पागल समझती है वो एक दिन इतिहास लिख देते है ,वाशिंगटन उन में एक था !लेकिन वाशिंगटन हार मानने को तैयार नहीं था ,वह अपने पिता के सपने को किसी भी हालात में पूरा करना चाहता था !

                       और फिर एक दिन हॉस्पिटल में अपने कमरे में लैटे हुए उसके दिमाग में एक अद्भुत विचार आया और उसने अपनी ऊँगली हिलाकर अपनी पत्नी से संवाद करने का तरीका खोज निकला और फिर वह अपनी पत्नी को हाथ की उँगलियों से यह बताता कि इंजीनियरो को क्या काम करना है!वाशिंगटन अगले 13 वर्षो तक अपनी पत्नी की बाँह पर अपनी उँगलियों से पूल निर्माण के कार्य निर्देश देता रहा,और अंतत वह शानदार पूल जो अपनी विराटता एवं कारीगरी से देखने वालो को मुग्ध कर देता है बन कर तैयार हुआ !और वो भव्य पूल जो ब्रुकलिन पूल (Brooklyn Bridge ) के नाम से जाना जाता है,जिसकी कुल लम्बाई 1825 मीटर है और आज हर रोज लगभग 13200 मोटर्स व्हीकल,2600 साइकिल सवार और 4000 पैदल चलने वाले इस पूल को क्रॉस करते है!

Brooklyn Bridge 





यह पूल हमे बताता है कि इच्छाशक्ति एवं लगन के सामने हर परिस्थिति पराजित हो जाती है.यह पूल हमे उस औरत के अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण की भी कहानी सुनाता है.जो वर्षो तक अपनी बाँह पर अपने विकलांग पति के सन्देशों को समझ-समझ कर इंजीनियरो को बताती रही कि उन्हें क्या करना है !यह कहानी हमें इच्छाशक्ति के बल पर असम्भव को सम्भव बनाने का भी सन्देश देती है !
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