माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा का रहस्य ,वैष्णो देवी जाने का सही समय The Secret of the Sacred Cave of Mata Vaishno Devi, The Right Time to visit Vaishno Devi

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 माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा का रहस्य ,वैष्णो देवी जाने का सही समय 

भारत विभिन्ताओ का देश है माना जाता है की यहाँ कोस कोस पर पानी और सौ कोस पर वाणी बदल जाती  है और यहाँ अनेको देवी देवताओ की पूजा की जाती है क्योंकि भारत के लोग भगवान में बहुत आस्था रखते है आज हम आप को विशव भर में प्रसिद्ध उतर भारत के सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक माता वैष्णो देवी के पवित्र मन्दिर और गुफा के रहस्य के बारे में बताएगे यहाँ आप जानेगे की माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा कब और किसने बनवाई यहाँ दर्शन करने का सही समय और कैसे आप यहाँ पहुँच सकते है !

                                  भारत में जम्मू कश्मीर के कटरा से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर त्रिकूटा पर्वत पर माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा है यहाँ देश विदेश से लाखो की तादात में माता के भक्त दर्शन के लिए आते है यह भारत में तुरमला वैंकटेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखे जाने वाला धार्मिक पवित्र स्थान है !

Vashino Devi,Mata Vashino Devi Katra
Mata Vaishno Devi

माता की पवित्र गुफा को लेकर प्रसिद्ध कथा 
                               कटरा से लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर हन्साली गांव में माता के परम भक्त पंडित श्रीधर रहते थे वो निःसंतान होने के कारण दुःखी रहते थे एक दिन उन्होंने नवरात्री पूजन के लिए कन्याओं को बुलाया माता वैष्णो कन्या के रूप में उन्हीं के बीच आ बैठी पूजन के बाद बाकि कन्या तो चली गई लेकिन माता वैष्णो वहीं रुकी रही और माता ने श्रीधर से कहा की सबको भन्ड़ारे का निमंत्रण दे दो और श्रीधर ने दिव्य कन्या रूपी माता वैष्णो की बात मान कर आस पास के गांव में भन्ड़ारे का निमंत्रण दे दिया वहां से लौटते समय बाबा गोरखनाथ और उनके शिष्य और बाबा भैरोनाथ और अन्य शिष्यओं को निमंत्रण दिया गया इसके बाद सभी गांव वाले भोजन के लिए श्रीधर के घर इकठा होने लगे और फिर कन्या रूपी माता वैष्णो देवी ने सब को भोजन परोसना शरू किया भोजन परोसते हुए जब माता भैरोनाथ जी के पास पहुंची तो उन्होंने हलवा पूरी की जगह मांश और मदिरा पान करना चाहता हु तब कन्या रूपी माता ने उनको समझाया की ये ब्राह्मण के यहाँ का भोजन है इसमें मांशाहार दिया जाता लेकिन बाबा भैरोनाथ अपनी बात पर अड़िग थे तब बाबा भैरोनाथ ने कन्या रूपी माता को पकड़ना चाहा तो माता ने बाबा भैरोनाथ के छल को जान लिया तब माता वायु रूप में बदल कर त्रिकूट पर्वत की तरफ उड़ने लगी बाबा भैरोनाथ भी उनके पीछे गए माना जाता है की हनुमान जी माता की रक्षा के लिए उनके साथ ही थे माना जाता है की जब हनुमान जी को प्यास लगी तो माता ने हनुमान जी के आग्रह पर पहाड़ में बाण मार के जल की धारा निकाली थी माता ने यहाँ अपने केश भी धोए थे आज यह जगह बाण गंगा के नाम से जानी जाती है श्रद्धालु यहाँ जल ग्रहण और स्नान कर के माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है!
                                       इसके बाद माता भैरोनाथ से छुपते हुए एक गुफा में चली गई माना जाता है की नौ महीनों तक माता इसी गुफा में तपस्या करती रही माता का पीछा करते हुए भैरोनाथ भी यहाँ तक पहुँच गया एक साधु ने भैरोनाथ को समझाया की जिसको तुम एक कन्या समझ रहे हो वो वास्तव में आदि शक्ति है लेकिन भैरोनाथ ने उसकी कोई बात नहीं मानी और माता गुफा के दुसरी और से रास्ता बना कर निकल गई वो गुफा अब अर्धकुंवारी के नाम से जानी जाती है अर्धकुंवारी से पहले माता की चरण पादुका भी है ये वो स्थान है जहाँ माता ने भैरोनाथ को पीछे मुड़ कर देखा था !
                                        गुफा से बाहर हनुमान जी भैरोनाथ से युद्ध कर रहे थे लेकिन जब हनुमान जी थकने लगे तब माता ने आकर भैरोनाथ का वध कर दिया और भैरोनाथ का सिर त्रिकूट पर्वत की भैरव घाटी में जाकर गिरा आज उस स्थान को भैरोनाथ के मन्दिर के रूप में जाना जाता है जिस स्थान पर माता ने बाबा भैरोनाथ का वध किया था उस पवित्र गुफा को भवन के नाम से जाना जाता है इसी पवित्र गुफा में माता तीन(माँ लक्ष्मी ,माँ सरस्वती और माँ काली ) पिण्ड स्वरूप में विराज मान है इन तीनो के सम्लित रूप को ही माता वैष्णो देवी कहा जाता है वध के बाद भैरोनाथ ने माता से माफ़ी मांगी माता ने भैरोनाथ को वरदान दिया की मेरे दर्शन जब तक पुरे नहीं माने जाएंगे जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करता आज भी सभी श्रद्धालु माता के दर्शन के बाद भैरोनाथ के दर्शन को जाते है !श्रीधर की भक्ति से प्रसन होकर माता वैष्णो देवी ने उनको आशीर्वाद दिया तब से श्रीधर और उनके वंशज ही माता वैष्णो देवी की पूजा करते है !
                                           
माता वैष्णो देवी जाने का सही समय  
                                                        देश विदेश से माता के भक्त पुरे साल दर्शन के लिए आते रहते है माता के नवरात्रों में यहाँ बहुत ज्यादा श्रद्धालुओ की भीड़ होती है आप को दर्शन के लिए अच्छा खासा इंतजार करना पड़ता है अगर आप अपने परिवार के साथ माता वैष्णो देवी के सभी जगह (बाण गंगा, चरण पादुका,अर्धकुंवारी ,भवन ,भैरोनाथ)आराम से दर्शन करना चाहते है तो आप को दिसंबर से अप्रैल के बीच में माता वैष्णो देवी जाना चाहिए माता वैष्णो देवी आने के लिए आप अपनी सुविधा अनुसार कार,बस,रेल या हवाई जहाज से आ सकते है दिल्ली से कटरा लगभग 635 किलोमीटर की दूरी है! 



                                                     बस स्टैण्ड या रेलवे स्टेशन से आप बाण गंगा तक आप ऑटो में जा सकते है आप को यात्री पास की जरुरत पड़ेगी ये पास आप बस स्टैण्ड ,रेलवे स्टेशन या फिर जहां से पैदल यात्रा शरू होती है वहां चेकिंग के समय ले सकते है यहाँ से दो रास्ते है एक पुराना मार्ग और दूसरा तारकोटे मार्ग इस रास्ते से आप चरण पादुका के दर्शन नहीं कर पाएगे ये मार्ग सीधा अर्धकुंवारी जाता है तारकोटे मार्ग से अर्धकुंवारी लगभग 7.5 किलोमीटर और पुराने मार्ग से अर्धकुंवारी लगभग 5.5 किलोमीटर की दुरी है 

Mata Vaishno Devi Temple History,Mata Vaishno Devi Route
Mata Vaishno Devi Route

अर्धकुंवारी से पहले हाथीमथा आता है यहाँ से आप नए मार्ग से सीधा भवन भी जा सकते है या फिर पुराने मार्ग से अर्धकुंवारी होते हुए भवन जाए अर्धकुंवारी से भवन लगभग 5.5 किलोमीटर की दुरी पर है भवन पहुँच कर आप स्नान कर सकते है ध्यान रहे भवन में आप सिवाए प्रसाद के कुछ भी नहीं लेकर जा सकते जैसे :-फ़ोन ,बैल्ट ,पर्श बैग आदि ये सब सामान रखने के लिए आप को लॉकर लेना पड़ेगा या अपना सब सामान किसी प्रसाद की दुकान पर रख सकते है अगर वो रखवा लेता है तो इसके बाद आप माता वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते है !
                                                    माता वैष्णो देवी दर्शन करने के बाद आप भैरोनाथ मन्दिर जो भवन से लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर है दर्शन के लिए जा सकते है भवन से भैरोनाथ मन्दिर के लिए आप रोपवे से भी जा सकते है जिसकी टिकट 100 Rs है रोपवे का समय सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक है !                                                    

माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा के बारे में 

                                                समंदर तल से लगभग 5200 फ़ीट की ऊचाई पर माता वैष्णो देवी का मन्दिर है यहाँ आप माता के पिण्ड रूप में दर्शन कर सकते है अब मन्दिर में दो गुफाएं है जब श्रद्धालु कम होते है तो प्राचीन गुफा से माता के पिण्ड रूप के दर्शन कराए जाते है अन्यथा 1977 में बनाई गई दूसरी गुफा से माता के पिण्ड रूप के दर्शन कराए जाते है!

                          जय माता की     

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