जयगढ़ किले का इतिहास दुनिया की सबसे बड़ी तोप
जयगढ़ किले का इतिहास
जयगढ़ किला जयपुर में "चील का तेला " की पहाड़ी पर स्थित है यह विश्व धरोहर आज भी जयपुर के राज परिवार के अधीन है क्या आप जानते है इस किले को बनने में 700 साल लगे थे जिसमें राज परिवार की 27 पीढ़ियो का योगदान रहा काकल देव जी ने इस किले का निर्माण 1036 ई में आरम्भ करवाया था और 1720 ई में सवाई जयसिंह के कार्यकाल में बन कर तैयार हुआ था इसलिए उनके नाम पर ही इस किले का नाम जयगढ़ रखा गया !
पांच रंग की पताका
इस किले पर लहराती पंचरंगी पताका आज भी राज परिवार को अपने पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास का एहसास कराती है इस पांच रंग के झण्डे का मतलब यह है कि यहाँ के राज परिवार ने पांच रियासतों पर विजय प्राप्त की थी
दुनिया की सबसे बड़ी तोप
जयगढ़ किले में रखी दुनिया की सबसे बड़ी तोप इस किले का मुख्य आकर्षण है इस तोप को "जयबाण" के नाम से जाना जाता है आजतक इस तोप का इस्तेमाल सिर्फ एक बार ही किया गया है जब इसको चलाया गया तो इसमें 100 kg बारूद भरा गया था इससे जो गोला चला था वो यहाँ से 35 किलोमीटर दूर चाकसू नाम के गांव में जाकर गिरा था जहाँ ये गोला गिरा था वहाँ तालाब बन गया था उस तालाब को गोलीमार तालाब के नाम से जाना जाता है
इस तोप का वजन 250 टन है और इस तोप की लंबाई 32 फ़ीट है इस तोप को घुमाने के लिए 4 हाथीओ का इस्तेमाल किया जाता था इतनी बड़ी और भारी तोप आप और कहीं नहीं देख सकते इसके लिए आपको जयगढ़ किले में ही आना पडेग़ा !
Jaibana Cannon
जहाँ से ये तोप चलाई गई थी वहाँ एक पानी की टंकी बनाई गई थी और बारूद में आग लगा कर उस आदमी ने पानी से भरे इस टैंक में छलाँग लगाई इतना सब करने के बावजूद भी इस तोप के चलने से इतना शोर हुआ की उस आदमी के दोनों कान के पर्दे ख़राब हो गए और किले की दीवारों को भी बहुत छति हुईं इसलिए इस तोप को दोबारा कभी भी इस्तेमाल नहीं किया गया !
क्या आप जानते है इस किले में प्राचीन तोप कारखाना भी है जयबाण तोप को भी इसी कारखाने में तैयार किया गया था राज परिवार इस किले का इस्तेमाल अपने सैनिकों के रहने और युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र को बनाने और उनको रखने के लिए करते थे
किले में रखे खजाने का रहस्य
कहा जाता है कि इस किले में बहुत बड़ा खजाना था जिसको इंदिरा गाँधी के समय में यहाँ से दिल्ली ले जाया गया यहाँ बनी बहुत बड़ी पानी की टंकी के निचे एक गुप्त तयखाना था जिसमें वो खजाना था आज भी वो पानी का टैंक आप यहाँ देख सकते है इस टैंक में 60 लाख गैलन पानी स्टोर किया जा सकता है ऐसा कहा जाता है की जब यहाँ से खजाना ले जाया गया था तो दिल्ली जयपुर हाईवे को दो दिनों के लिए आमजन के लिए बंद कर दिया गया था
किले में स्थित पानी की टंकी में इतना पानी इकठा हो सकता है कि दस हजार आदमी दो साल तक काम में ले सकते है सन 1976 में भारत सरकार ने इस टैंक को खाली किया था और खजाने की तलाश में फर्श और दीवारों की खुदाई की थी कहा जाता है कि यहाँ से 60 - 70 ट्रक भर कर खजाना ले जाया गया था !
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